Justice for Atul Subhash | “न्याय की आवाज़: अतुल सुभाष केस क्यों बना राष्ट्रीय मुद्दा?”

Justice for Atul Subhash | “न्याय की आवाज़: अतुल सुभाष केस क्यों बना राष्ट्रीय मुद्दा?”
अतुल सुभाष के लिए न्याय: एक सशक्त अपील
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आइए जानें कौन थे Atul सुभाष

अतुल सुभाष एक ऐसा नाम है जो आज अन्याय के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक बन चुका है। उनकी कहानी ने देशभर में लाखों लोगों को झकझोर कर रख दिया है। यह मामला केवल एक व्यक्ति के अधिकारों का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है।

जानिए पूरी कहानी

यह आंदोलन केवल अतुल के लिए न्याय की मांग नहीं है, बल्कि उन सभी के लिए है जिन्हें समाज और व्यवस्था में अन्याय का सामना करना पड़ता है। अतुल सुभाष के मामले ने यह साबित किया है कि यदि हम एकजुट होकर अपनी आवाज़ उठाएं, तो बदलाव संभव है।

दोस्तों बेंगलुरु में 34 साल का ai मैं काम करने वाला अतुल सुभाष केस ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है।

मुझे याद नहीं आता, कि आखिरी बार किसी एक मामले पर लोगों का इतना गुस्सा या इमोशन एक साथ कब देखा;
पुरे  सोशल मीडिया पर इस पुरे मामले के लिए ओपिनियन या इमोशन की बाढ़ आ रखी है

मरने से पहले अपने कई पैनो के नॉट में जो अतुल ने लिखा है उसे पढ़ कर आपका क्लेजा फट जायेगा |

उसकी पत्नी या घर वालो के बारे में कोई भी इंसान इतना घिनोना या लालची कैसे हो सकता है; उसकी पत्नी या घर वालों के बारे में पता है कि अतुल ने अपने 4 साल के बेटे के लिए क्या लिखा है; उसे पढ़ कर आप प्रेशान हो जायेंगे।

 बार बार यही ख्याल आता है की काश ! अतुल के इस दुख के बारे में  पहले पता होता, तो कोई कुछ कर पाता, अतुल को इस दुनिया से जाने से रोक पाते, उन्हें उनके बेटे से मिलवा मिलता; लेकिन ये सारे बटे सिर्फ… काश……. ही बैन कर रह गई है।

वेल हम ये नहीं कहते की इस वीडियो को लेके इमोशनल अपील बनाककर छोड़ दे |

 मेरी कोशिश है की अतुल ने अगर अपनी लाइफ का secrifice किया है तो उसे हम वैस्ट न जाने दे, ताकि उन जैसे ओर केस न हो पाए |

तो इस से पहले इस बात पर आऊं तो अतुल सुभाष के केस मैं क्या गलत हुवा और क्या सही हो सकता था |

एक बी ार पहले ये जान ले की सारा मामला है क्या ?

आपको बता दे मूल रूप से बिहार के रहने वाले अतुल सुभाष बेंगलुरु मैं ai मैं काम करते थे |
खुद अतुल ने अपने आखरी नोट मैं बताया की उन्होंने 2019 मैं एक मेट्रोमोरियल साइट पर उनका मैच मिलने के बाद उन्होंने निकिता सिंघानियां से सादी की | सदी के अगले ही साल २०२० मैं उन्हें एक लड़का हुवा |
अतुल ने अपने नोट मैं लिखा है की उसकी पत्नी हर पूजा या सादी मैं 6 साड़ी और एक गोल्ड सेट की डिमांड करती थी | इन सैलून मैं अतुल ने अपने ससुराल वालो को भी उनके बिज़नस के लिए 20 लाख रूपये से ऊपर दिए थे | अतुल ने खवकी मेरी वाइफ और उनके वालो की पैसों की डिमांड लगातार बढ़ने लग रही थी | जब 2021 मैं मने उन लोगो को पसे देने बंद कर दिय तो इस बात पर मेरी पत्नी हमारे डेढ़ साल के बेटे कप लेके हमें छोड़ कर चली गयी |
अतुल ने इसके बाद अपनी पत्नी से तलाक माँगा तो अतुल की वाइफ ने दहेज़ समेत अलग अलग सेक्शन मैं अतुल पर नो केस दर्ज करा दिए | अतुल की वाइफ ने जान बूझकर उन्हें परेशान करने क लिए सरे केस up के जौनपुर मैं दर्ज करा दिए , जबकि वो खुद भजि जौनपुर मैं नहीं रहती थी

पिछले दो सैलून मैं 50 बार से भी ज्यादा जौनपुर आना पढ़ा , पहले उनकी पत्नी ने अतुल से उनके बचे क लिए 40 हजार का मेन्टेनन्स की डिमांड की और अपने लिए 1 करोड़ हर्जाना माँगा जब अतुल 40 हजार देने क लिए रेडी हो गया , तो अतुल की वाइफ ने हर्जाने की रकम १ करोड़ से बढ़ा क्र ३ करोड़ बढ़ा दी |

अतुल ने जब इस बात की शिकायत जजः साहब से इसकी शिकायत की, तो उल्टा जजः ने अतुल को कहा की तुम्हारे पास इतने पसे होंगे तभी तुमसे मांग रही है |

लेकिन अब हम जो आपको बताने जा रहे है ,वो सुन कर आपके होश उड़ जायेंगे ; अतुल ने कोर्ट मैं जब जजः को जब बताया की ncrb क डाटा बताता है की दहेज़ के जूते सासों क चलते कितने ही मर्द हर साल सुसडे करते है ;
इस बात पर अतुल की बीवी और सास ने कहा की ऐसा है तो तुम क्यों नहीं सुसडे ककर लेते |

 
आखरी सुनवाई के वक़्त जब अतुल जहॉंपुर गए उन्हें देख कर उनकी सास ने कहा की “अरे तुम अभी तक जिन्दा कसे हो , हमें लगा की तुमने अभी तक सुसडे कर ली होगी ; इस पर अतुल सुभाष का जवाब था , की अगरव मैं मर गया तो तुम्हारी पार्टी कैसे चलेगी , इस पर अतुल की सास ने खा पार्टी तो फिर भी चलेगी “
“तुम मर गए तो तुम्हारी प्रॉपर्टी तुम्हारी बीवी के नाम हो जाएगी ,तुम्हारे माँ बाप के मरने के बाद उनकी प्रॉपर्टी भी तुम्हारी बीवी के नाम हो जाएगी , तुम्हारा खानदान सारी जिंदगी कोर्ट के चक्र काटती रह जाएगी “

अतुल ने जजः पर भी इल्जाम लगाया है की , उन्होंने भी मुझ से 5 लाख रूपये की डिमांड की थी। जब मने उनको पीएसई नहीं दिय तो , उन्होंने मेरी सुनवाई नहीं की |
अपनी वाइफ के इस टॉर्चर से पुलिस की मिली भगत और एक कथित कार्पेट जजः के चलते अतुल सुभाष ने 9 दिसम्बर की रत को अपनी जान दे दी |
लेकिन अपनी जान देने से पहले अतुल ने 40 पनो का एक नोट लिखा और एक से डेढ़ जानते का वीडियो भी रिकॉर्ड किया |
अतुल सिस्टम से इतना नाराज था की , उन्होंने अपने नोट मई ये तक लिख दिया की मेरी अस्थियो को तब न भय जाये तब तक मुझे इंसाफ नहीं मिल जाता , और अगर मुझे इंसाफ नहीं मिल जाता और अगर मुझे इंसाफ न मिल सके तो मेरी अस्थियो को कोर्ट के बहार किसी गटर मैं बहा दिया जाये |
कई पनो के अपने अल्हरी नोट मैं अतुल ने ऐसी ऐसी बाटे लिखी है की जिसे पढ़ कर आपका कलेजा फट जायेगा

अतुल सुभाष द्वारा लिखे गए पत्र की जानकारी ने हर किसी को गहराई से झकझोर कर रख दिया। उनके पत्र में उन्होंने अपने दिल की बात, अपनी भावनाएँ और उन हालातों का वर्णन किया जिनका उन्होंने सामना किया।

 

यह समय है कि हम न केवल अतुल सुभाष के लिए, बल्कि समाज के हर व्यक्ति के लिए न्याय की गारंटी सुनिश्चित करें। आइए, इस संघर्ष में अपना समर्थन देकर एक निष्पक्ष और न्यायपूर्ण समाज की नींव रखें।

अतुल के पत्र की मुख्य बातें

  1. अन्याय और संघर्ष की कहानी
    अतुल ने अपने पत्र में उन परिस्थितियों का जिक्र किया, जहां उन्हें न केवल मानसिक बल्कि भावनात्मक कष्टों का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि कैसे उनके साथ अन्याय हुआ और वे अपने अधिकारों के लिए लड़ने को मजबूर हुए।

  2. सिस्टम की खामियों पर सवाल
    पत्र में उन्होंने न्याय प्रणाली और प्रशासनिक व्यवस्था की खामियों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने लिखा कि कैसे सच्चाई के बावजूद उनकी आवाज़ को दबाया गया और उन्हें गलत तरीके से फंसाने की कोशिश की गई।

  3. परिवार और समाज के लिए अपील
    अतुल ने अपने परिवार और समाज से अपील की कि वे सच्चाई के लिए लड़ाई जारी रखें। उन्होंने लिखा कि वे चाहते हैं कि उनके मामले में निष्पक्षता बरती जाए और सच्चाई सबके सामने आए।

  4. अंतिम शब्द
    उनके पत्र के अंत में उन्होंने लिखा कि उनका संघर्ष केवल उनके लिए नहीं है, बल्कि उन सभी के लिए है जो अन्याय का सामना कर रहे हैं। उन्होंने लिखा, “सत्य को कभी दबाया नहीं जा सकता। अगर मैं न्याय न पा सका, तो भी मैं चाहता हूं कि यह लड़ाई दूसरों के लिए प्रेरणा बने।”

अतुल ने अपनी पत्नी को कुश रखने क लिए सब कुछ किया , अपने सेक्सुअल को लाखो रूपये दिय |
अपने पत्नी की खुशियों का ख्याल रखा | एक सरीफ इंसान को इतना ,मजबूर कर दिया की उसने परेशान होक अपनी जान ही दे दी | उसे 2 सालो से अपने बचे तक से मिलने नहीं दिया गया |}
उसके माँ बाप के ऊपर झूठे केस लगाए गए वो भी तब जब उसने अपनी पत्नी की हर ख़ुशी का ख्याल रखा जो अतुल कर सकता था |
हम मानते है की इस दुनिया मैं औरतों की सुनवाई होती है औरतों क हक़ क लिए कानून बनाये गए है।, पर उसका अपना इतिहास है. लेकि सवाल ये है की इन्ही कणों का फायदा उठा कर कई महिलाये इसका फयदा उठती है उन्हें अपनी जान देने पैर मजबूर कर देती है | उन महिलाओं का क्या जिन मामलो मैं औरतें यह साबित नहीं कर पति की सच मैं उनके पति ने दहेज़ मांगा था या नहीं|
क्या उन मामलो मैं औरतों को भी सजा होती है , न नहीं होती
ऐसे मामलो मैं आखिर सजा क्यों नहीं होती | जो ये तयह कर सके की हर्जाने की रकम बचो की मेन्टेन्स की रकम बचे क लिए कितना पैसा ,मांग सकती है |
अचल क केस मई ये कसे दिसदे हो गया की निकिता को अपने २ साल क बचे क लिए ४० हजार रूपये महीना दिया जाये , आखिर उसने कसे तलाक के बदले १ करोड़ की बजाये 3 करोड़ रूपये की मांग की |
ये तो दहेज़ कानूनों की आड़ मैं मर्दो के साथ लूटपाट डे लाइट रोबेरी है |
आखिर रीज़न क्या क्या ह की बचो को ज्वाइन कस्टडी नहीं दी जाती , क्यों बाप को तरसाया जाता है और इसके चलते बचो का मुँह तक नहीं देख पाते |
हुम साफ कह देते है जब हम ये सारी बाते कर रहे है तो कोई 498 या दहेज़ पड़तना क बने केस के अगेंस्ट क कानून के खिलाफ नहीं है हर साल सिर्फ दहेज़ से परेशान होकर 8500 महिलाये अपनी जान दे देती है , ये नम्बर ही बताने के लिए काफी है की यह लो कितना जरुरी है , लेकिन प्रॉब्लम वह है की वह सहरी इलाके मई औरतें इस कणों को होसियार बनाकर मर्दो को ब्लैकमेल करती है और उनसे पसे निकलती है और उनके माँ बाप को जेल भिजवा देती है और आदमियों को पता ही नहीं होता की करे तो करे क्या करे , क्यों मर्दो के लिए कोई कानून नही बना

इस पत्र का प्रभाव

यह पत्र न केवल उनके संघर्ष को उजागर करता है, बल्कि समाज में बदलाव लाने की आवश्यकता को भी दर्शाता है। लोगों ने इसे पढ़कर न्याय की मांग को और अधिक मजबूती से उठाया है।

हम क्या कर सकते हैं?

  1. सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाएं:

    • #JusticeForAtulSubhash और #AtulDeservesJustice जैसे हैशटैग का उपयोग करें।
    • इस मुद्दे से संबंधित पोस्ट और वीडियो साझा करें।
  2. संगठित होकर आवाज़ उठाएं:

    • स्थानीय स्तर पर प्रदर्शन और हस्ताक्षर अभियान शुरू करें।
    • सरकार और संबंधित अधिकारियों से निष्पक्ष जांच की मांग करें।
  3. समर्थन जुटाएं:

    • इस आंदोलन के लिए अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करें।
    • मीडिया के माध्यम से इसे एक राष्ट्रीय मुद्दा बनाएं।

न्याय की ओर कदम

यह समय है कि हम न केवल अतुल सुभाष के लिए, बल्कि समाज के हर व्यक्ति के लिए न्याय की गारंटी सुनिश्चित करें। आइए, इस संघर्ष में अपना समर्थन देकर एक निष्पक्ष और न्यायपूर्ण समाज की नींव रखें।

https://www.bhaskar.com/local/uttar-pradesh/jaunpur/news/ai-engineer-and-his-wife-had-a-fight-over-extramarital-affair-134119084.html

https://www.bhaskar.com/local/uttar-pradesh/jaunpur/news/ai-engineer-and-his-wife-had-a-fight-over-extramarital-affair-134119084.html


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hi I am Shiva. i am a copywriter. I have manage 50 plus websites.

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